साक्षात्कार

मिलिये गेहूँखेड़ा के बृजमोहन भाई से जो अपनी ज़रूरत की सब्ज़ी घर पर ही उगाते हैं, वो भी प्राकृतिक तरीके से

बृजमोहन नागर मूल रूप से रायसेन जिले की गोहरगंज तहसील के गेहूँखेड़ा गाँव के रहने वाले ऐसे पुश्तैनी किसान हैं जो अपनी ज़रूरत की सब्जि़याँ अपने घर के पीछे बाड़े में पूर्णत: प्राकृतिक तरीके से उगाते हैं- बगैर रासायनिक खाद व कीटनाशक का प्रयोग किए। सब्जि़यों के लिए बाज़ार पर इनकी निर्भरता कम ही है, न के बराबर। वही सब्ज़ी बाज़ार से लेते हंै जिसका उत्पादन इनके यहाँ नहीं होता है। अपने बाड़े में होने वाली सब्जि़याँ वे बेचते नहीं हैं बल्कि पड़ोसियों व रिश्तेदारों को उपलब्ध करवा देते हैं। दुग्ध उत्पादों के लिए भी इनकी बाज़ार पर निर्भरता नहीं है। इनके यहाँ दूध, घी, मठ्ठा इत्यादि घर पर ही होता है क्योंकि इनके पास 4 गायें हैं।

यह सब पता लगने पर कृषि परिवर्तन की टीम जा पहुँची बृजमोहन नागर जी के घर के पीछे बने बाड़े में। वहीं उनसे खेती के अनुभवों के बारेमें विस्तृत बातचीत हुई, जिसके मुख्य अंश प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न: आप कब से खेती कर रहे हैं और कहाँ तक पढ़ाई की है? 
उत्तर: मैं पिछले 37 वर्षों से खेती कर रहा हूँ। मैंने 1978-79 में औबेदुल्लागंज के सरकारी स्कूल से हायर सेकेण्डरी की परीक्षा पास की थी और उसके बाद 1980 से ही खेती के कार्य में लग गया। चूँकि कृषि हमारा पुश्तैनी कार्य है और पिताजी इसमें अकेले पड़ रहे थे, इसलिए मैं उनकी सहायता के लिए इस कार्य को करने लगा। पर धीरे-धीरे इस कार्य में मुझे आनंद आने लगा और अन्य किसी व्यवसाय को आज़माने की बजाय मैंने कृषि व्यवसाय को ही अपनाया और आज मैं खासी संतुष्टि महसूस कर रहा हँू अपने निर्णय से।

प्रश्न: कितनी एकड़ भूमि में खेती कर रहे हैं और कौन-कौन सी फसल लेते हैं?उत्तर: मैं और मेरा बेटा 50 एकड़ भूमि में खेती कर रहे हैं, जिसमें हम साल में दो फसल लेते हैं। हमारी मुख्य फसलें गेहूँ, चना व धान हैं। धान की खेती हम 30 एकड़ में करते हैं। रबी के मौसम में हम 40 एकड़ में गेहूँ व 10 एकड़ में चना का उत्पादन करते हैं।

प्रश्न: कब से आप अपनी ज़रूरत की सब्ज़ी अपने बाड़े में ही उगा रहे हैं? कितना बड़ा है आपका बाड़ा? विस्तार से बताइए।
उत्तर: लगभग एक एकड़ का बाड़ा है जो मेरे घर से लगा हुआ है और मैं पिछले 15 वर्षों से वहाँ सब्ज़ी लगा रहा हूँ। इसमें फूल गोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, चुकन्दर, आलू, मूली, धनिया, मैथी, प्याज, लहुसन, पालक, मक्का, बैंगन तथा मिर्च इत्यादि लगी हुई है। इससे हमारी घरेलू ज़रूरत की पूर्ति हो जाती है, बाज़ार से नहीं लेनी पड़ती। कभी-कभार ही है जब बाड़े में सब्ज़ी फल-फूल पर होती है तब ही लेनी पड़ती है अन्यथा सब्जि़यों के लिए हमारी बाज़ार पर निर्भरता नहीं है। मेरे पास 4 गायें हैं, जिनके लिए हरा चारा भी इसी बाड़े में लगा हुआ है। इन गायों के चलते हमें घी, दूध, मठ्ठा, मलाई इत्यादि भी बिल्कुल शुद्ध और बिना मिलावट वाली मिलती है। इस कार्य को मेरे पूरे परिवार का सहयोग प्राप्त होता है।

प्रश्न: आगे क्या पूरी खेती प्राकृतिक तरीके से करने वाले हैं?
उत्तर: हाँ, बिल्कुल करना चाहूँगा, क्योंकि प्राकृतिक खेती से कम लागत में अच्छा मुनाफा मिलता है और सबसे बड़ी बात यह है कि रासायनिक खाद व कीटनाशकों से मुक्ति मिलती है, जो कि हमारे परिवार के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।

प्रश्न: क्या आप अपने बच्चों को भी खेती करने के लिए प्रेरित करेंगे?
उत्तर: हाँ, खेती एक ऐसा व्यवसाय है जो आपको प्रकृति के करीब रहने का मौका देता है और यदि प्रकृति साथ दे तो इससे अच्छा काम नहीं है, और इस काम में 100 प्रतिशत खून-पसीने की कमाई है। इस काम को करने में एक आत्म-संतुष्टि भी मिलती है। मुझे यह काम करने में आनंद आता है। मेरा एक लड़का खेती का ही कार्य करता है। अब वह ही सब खेती संभालता है। वह अभी 32 वर्ष का है और पिछले 5 वर्षों से इसी कार्य में लगा हुआ है। उसकी पढ़ाई भी 12वीं तक हुई है। जैसे मैं12वीं की पढ़ाई के बाद अपने पिताजी की सहायता हेतु इस कार्य में लग गया था, वैसे ही वह भी लग गया है।

प्रश्न: आपके अनुभव से खेती का व्यवसाय कैसा है?
उत्तर: इतने लंबे अनुभव के आधार पर कह सकता हूँ कि खेती बहुत ही लाभ का व्यवसाय है और आज हमारे पास जो कुछ भी भौतिक सुख-सुविधाओं के साधन हैं वे सब हमें कृषि आय से ही प्राप्त हुए हैं। मेरी तरक्की की मुख्य वजह खेती ही है। परंतु खेती को पूर्ण समय देना होता है, तभी वह आपको अच्छे परिणाम देती है। कुल मिलाकर कहें तो आपको खेत के साथ एक आत्मीय संबंध बनाना पड़ता है।

प्रश्न: आजकल खेती का काम छोड़कर किसानों के बच्चे फैक्ट्रिओं में 7-8 हज़ार के लिए जा रहे हैं, क्या यह सही है?
उत्तर: यह बिल्कुल भी सही नहीं है। मेरे हिसाब से किसानों के बच्चों को अपना खुद का काम छोड़कर दूसरों की गुलामी नहीं करनी चाहिए। खेती का व्यवसाय खुद का व्यवसाय है, उसमें पूरी आज़ादी रहती है, समय का भी कोई बंधन नहीं है। फैक्ट्रिओं में समय का पूरा ध्यान रखना पड़ता है और एक दिन भी यदि फैक्ट्री नहीं जाओगे तो वेतन कट जाता है, परंतु यहाँ कोई वेतन काटने वाला आपका मैनेजर नहीं है और आप खुद के मालिक हो। फैक्ट्रिओं में शिफ्ट में काम करना पड़ता है जिसके लिए रात-बेरात जाना पड़ता है, इसमें काफी रिस्क है। मैं कहना चाहूँगा कि किसान भाई अपने बच्चों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित करें क्योंकि यह हमारा सदियों से चला आ रहा पुश्तैनी व्यवसाय है।

प्रश्न: किसान भाइयों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे?
उत्तर: मेरा यही संदेश है कि कृषि हमारा पुश्तैनी व्यवसाय है, इसी को करने में अपना समय लगाएँ। आजकल बहुत तकनीक आ गई है और शासन तथा बहुत-सी निजी संस्थाएँ भी लोगों को खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इनके संपर्क में आकर अच्छी खेती करें और अच्छा लाभ कमाएँ और अपने परिवार को सुखी बनाएँ। एक बात और कहना चाहूँगा सभी किसान भाइयों से कि अपनी ज़रूरत की सब्जि़याँ अपने खेत या बाड़े में लगाएँ, साथ ही पशु अवश्य पालें और अपनी ज़रूरत का दूध, घी, दही व अन्य दुग्ध उत्पाद भी घर के ही इस्तेमाल करें। इससे आपको लाभ यह होगा कि आपका मासिक खर्च भी घटेगा और ज़हरीली सब्जि़यों व मिलावटी दूध वगैरह से भी छुटकारा मिलेगा, जो कि आपके और आपके परिवार के लिए काफी लाभदायक है।

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