3000 किसानों के साथ मिलकर योगेश ने जैविक कृषि में मनवाया लोहा
प्रस्तुति: मोईनुद्दीन चिश्ती
राजस्थान के जालोर की सांचोर तहसील के युवा किसान योगेश जोशी ने 3000 किसानों को एकजुट कर अपने क्षेत्र में लगभग 3000 एकड़ भूमि में जैविक खेती की शुरुआत की और आज 60 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार कर रहे हैं। उन्हीं के शब्दों में उनकी सफलता की कहानी-
”मैं, योगेश जोशी, साधारण-सा लेकिन नवाचार पसंद किसान हूँ। मैंने अपने जीवन की शुरुआत जैविक कृषि से की। पिताजी सरकारी नौकरी में रहे, इसलिए घरवालों को खेतीबाड़ी से ज़्यादा लगाव नहीं रहा। ग्रेजुएशन के बाद मैंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में डिप्लोमा किया तो खेती के प्रति अधिक मोह हो गया। घरवाले नहीं चाहते थे कि मैं खेती को अपने रोज़गार का जरिया बनाऊँ। घर-परिवार के सभी सदस्य सरकारी कर्मचारी थे, इसलिए उनकी सोच थी कि मैं भी गवर्मेन्ट जॉब की तैयारी करूँ, पर मैं मन बना चुका था।”
2009 में शुरुआत की, पर निराशा हाथ लगी…
योगेश ने वर्ष 2009 में अपने खेत से खेतीबाड़ी की शुरुआत की। उनके मुताबिक, ”उस वक्त जैविक खेती का माहौल आज जैसा नहीं था, इसलिए खेती की शुरुआत में मैंने इस बात पर ध्यान दिया किया कि मेरे क्षेत्र में ऐसी कौन सी उपज है जिसे उगाने पर किसानों को ज़्यादा फायदा होता है, जिसकी बाज़ार में ज़्यादा माँग रहती है। हमारे इलाके में जीरा बहुतायत में होता है। जैसा कि सभी जानते हैं कि जीरे को नकदी फसल कहा जाता है और बंपर उपज से बंपर मुनाफा भी होता है।
मैंने उस समय 2 बीघा के खेत पर जीरे की जैविक खेती का ट्रायल किया। खेती को लेकर वो मेरा पहला कदम था, जिसमें मैं असफल रहा। अनुभवहीन होने के कारण उपज न के बराबर हाथ लगी। लेकिन हिम्मत नहीं हारी।”
गुरु के रूप में मिले शर्मा जी…
”जोधपुर स्थित काजरी से संपर्क किया तो जैविक कृषि के जानकर कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण के. शर्मा ने मेरी भरपूर मदद की। डॉ. शर्मा मेरे गाँव सांचोर आए और मेरे समान कई किसानों को इस संबंध में सफल प्रशिक्षण दिया। इस बार एक्सपर्ट एडवाइज़ का लाभ मिला और जीरे की फसल में किसानों को कामयाबी मिली।
इन अनुभवों से एक बात स्पष्ट हो गई कि जैविक खेती में सफलता हाथ लग सकती है बशर्ते अकेले की बजाय यूनिटी में रहकर खेती की जाए। मिलकर जैविक खेती करने की इस पहल में केवल 7 किसान ही मुझसे जुड़े। और जो किसान जुड़े, उन्हें भी इस बात का भरोसा नहीं था कि बिना यूरिया, डीएपी, पेस्टिसाइड्स के खेती कैसे हो सकती है।
काजरी के वैज्ञानिक डॉ. शर्मा के मार्गदर्शन में हमने जैविक खाद और दवाइयाँ बनाना सीखा। इन प्रयोगों को खेतों में आज़माने से परिणामों में चौंकाने वाले बदलाव हुए।”
7 किसानों से शुरुआत, आज 3000 से ज़्यादा किसानों का कारवां…
”मज़रूह सुल्तानपुरी का एक शेर है- मैं तो अकेला ही चला था ज़ानिब-ए-मंजि़ल, मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। इसी की तजऱ् पर 7 किसानों से शुरू हुई हमारी यात्रा में आज 3000 से अधिक किसान जुड़ चुके हैं। ‘रैपिड ऑर्गेनिक प्रा.लि. नामक कंपनी के बैनर तले हम सब किसान संगठन में रहते हुए एकजुटता से जैविक खेती की नई इबारत लिख रहे हैं। निदेशक के नाते मैं इन किसानों को जैविक कृषि के प्रति समर्पित और जागरूक रहते हुए मानव हित में केमिकल फ्री खेती के लिए दिन-रात प्रोत्साहित करता हूँ।
हमारे कारवां के 1000 किसान पिछले 5-7 सालों से पूरी तरह जैविक प्रमाणित हैं। 1000 किसान कन्वर्जन-2 में हैं, जबकि शेष 1000 किसान सी-3 फेज़ में हैं। किसानों के जैविक सर्टिफिकेशन को गंभीरता से लेते हुए मैंने सभी को जैविक खेती से जुड़ी ट्रेनिंग करवाई और खेतीबाड़ी की बारीक से बारीक बात को भी हल्के में न लेने की सलाह दी। इन सभी किसानों के ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन के खर्चे को भी मैंने ही वहन किया। वैसे भी हमारे इलाके के किसान आर्थिक रूप से इतने कमज़ोर हैं कि प्रामाणीकरण का अतिरिक्त बोझ उन पर डालना मुझे मुनासिब नहीं लगा।”
विदेशों तक पहुंच बन गई
”इसी बीच इंटरनेट के माध्यम से एक जापानी कंपनी से संपर्क हुआ। उनके कुछ प्रतिनिधि हमारे गाँव आए और हमारे किसानों के खेतों की विजि़ट की। पूरी तरह से हमें जाँचने-परखने के बाद उस कंपनी ने हमारे साथ एक करार किया। हमने सबसे पहले उन्हें जीरे की सप्लाई की। इस पहली खेप को जापान में बहुत सराहना मिली।
इस सफलता को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने हमारे साथ एक टाईअप कर लिया, जिसके चलते हमने उनको जीरे के अलावा सौंफ, धनिया, मैथी इत्यादि की भी सप्लाई की।
इन दिनों हैदराबाद की एक कंपनी ने हमारे किसानों के साथ उनके खेतों में 400 टन किनोवा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रखी है। इस खेती में बीज से लेकर फर्टीलाईज़र तक सभी कुछ हम ही उपलब्ध करवा रहे हैं। यह पूर्णतया बायबैक खेती है, वह भी अग्रीमेंट के साथ।
अब जैसे-जैसे हम और हमारे 3000 किसान आगे बढ़ रहे हैं, दूसरे किसानों में भी हमसे जुडऩे को लेकर उत्साह है। पहले जहाँ किसान मुझसे सहभागिता के नाम पर कतराते थे, अब खुद ही जुडऩे को आतुर हैं। मैं जुड़े हुए किसान साथियों से समन्वय और तालमेल बनाए रखने के उद्देश्य से हर 3 माह में एक मीटिंग का आयोजन करता हूँ और उनके दुख-सुख की हर एक खबर रखता हूँ। इस तरह के आयोजन से किसानों को भी लगता है कि वे अकेले नहीं हैं, कंपनी उनके साथ है।”
सुपर फूड से करेंगे अन्नदाता की आय दुगनी…
”हम किसान मिलकर ‘सुपर फूड’ के क्षेत्र में भी कदम रख चुके हैं। इन दिनों राजस्थान में चिया सीड और किनोवा सीड को प्रोसेस में ला रहे हैं, ताकि किसानों की आय दुगुनी हो, जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि सन 2022 तक भारतीय किसानों की आमदनी डबल हो। इसके लिए हमें अभी से समय रहते खेती में कुछ नवाचारी प्रक्रियाएँ अपनानी होंगी।
मुझे बताते हुए खुशी होती है कि हम किसानों की दिन-रात की मेहनत से हमने आज 60 करोड़ रुपए से अधिक के टर्न ओवर को पार कर लिया है। 2009 में हमारा टर्न ओवर केवल 10 लाख था।
आज भी पहला लक्ष्य किसानों की उपज को बाज़ार दिलाने का रहता है। जिन किसानों को अपनी जैविक उपज का बाज़ार नहीं मिल पाता हो, मैं उनके लिए भी अपनी सेवाएँ देने को सतत प्रयत्नशील हूँ। किसानों को यह ऑफर भी रहता है कि वे हमसे जुड़कर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करें।”
किसानों को राहत का एक तरीका यह भी…
”जिन किसानों के पास सर्टिफिकेशन नहीं होता और वे पूरी तरह से जैविक खेती कर रहे होते हैं तो मैं उनकी उपज भी खरीद लेता हूँ, पहली शर्त बस यही है कि उपज केमिकल फ्री होनी चाहिए। इस सुविधा को हमने ‘इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट’ नाम दिया है।
अमेरिका की एक कंपनी हमारे साथ इसी तजऱ् पर काम कर रही है। इस सुविधा के तहत किसानों का समूह जीरे के अलावा वरियाली, धनिया, मैथी, सुआ, कलौंजी, किनोवा, चिया सीड, गेंहू, बाजरा, मस्टर्ड सहित पश्चिमी राजस्थान में आसानी से हो सकने वाली सभी फसलों की जैविक खेती कर रहा है।”
एक अरब रुपए के टर्न ओवर की मंशा है…
जोशी बताते हैं कि वे किसानों के हितों को मद्देनजर रखते हुए एफपीओ बना रहे हैं, जिसके तहत ‘रैपिड ऑर्गेनिक’ भी किसानों के इस एफपीओ से माल खरीदेगी। कंपनी के खर्चे निकालने के बाद बच रहे मुनाफे को किसानों में वितरित किए जाने की भी योजना है। इस एफपीओ में किसान ही चेयरमैन होगा, उसकी भी अपनी एक सोसाइटी होगी। किसानों के पास ‘रैपिड ऑर्गेनिक’ को अपनी उपज बेचने के अलावा दूसरी कंपनियों को भी माल बेचने का अधिकार होगा।
योगेश जी के मुताबिक, ”हम चाहते हैं कि किसान स्वावलंबी हों। मैं उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने में भूमिका निभाना चाहता हूँ। हर साल सीएसआर मद में से 10 से 20 लाख रुपयों को किसानों के लिए मेडिकल कैंप, शिक्षा आदि के लिए खर्च कर रहा हूँ।”
योगेश जोशी से संपर्क कर सकते हैं:-
रैपिड ऑर्गेनिक प्रा.लि., प्लॉट न. 544/545, फस्र्ट फ्लोर, हिंगलाज नगर (मोजिया), नर्मदा कॉलोनी रोड़, जिला सांचोर, जालोर- 343041, राजस्थान।
ईमेल- [email protected]
मोबाईल- 09549651201
कृषि जगत का उभरता सितारा हैं योगेश
योगेश जी की कार्य पद्धति और जैविक खेती से मुनाफे में करोड़ों के गणित से जैविक खेती प्रेमी किसानों को प्रेरणा के साथ-साथ नई ऊर्जा भी मिल रही है।
वर्तमान में जिनको लगता है कि जैविक खेती घाटे का सौदा है, जिनको लगता है कि जैविक खेती से देश की खाद्यान्न व्यवस्था तथा किसान की आजीविका नहीं चल पाएगी तो वे लोग योगेश जी के इस अभिनव प्रयास से चिंतामुक्त हो जाएँ। योगेश जी ने जैविक खेती को उद्यम समझकर, उसमें मूल्य संवर्धन के मुहावरे को जोड़ते हुए भारतीय कृषि जगत के इतिहास में एक नया आयाम स्थापित किया है। चूँकि मैं खुद जैविक खेती से जुड़ा हूँ, इसलिए इस उपलब्धि पर उन्हें हृदय से सलाम करता हूँ।
-पवन के. टाक (देश के 51 किसान वैज्ञानिकों में शामिल)
असिस्टेंट प्रोफेसर, विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी, जयपुर