शुद्ध फल और सब्जी के लिए प्रत्येक परिवार अपने घर पर ही लगाए पौष्टिक गृह वाटिका
रीवा: शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने हेतु विटामिन तथा खनिज लवण आवश्यक तत्व हैं। यह दोनों ही तत्व शरीर को फल तथा सब्जियों के सेवन से प्राप्त होते हैं।अत: प्रत्येक व्यक्ति को दैनिक रूप से प्रत्येक आहार में अनाज दलहन तिलहन तथा दुग्ध उत्पादों के साथ फल एवं सब्ज़ी का सेवन आवश्यक है, यह फल और सब्जी प्रत्येक परिवार अपने घर पर ही पौष्टिक गृह वाटिका लगा कर उगा सकता है। यदि गृह वाटिका में उपयोग हेतु अच्छी गुणवत्ता के बीज का उपयोग किया जाए तो उत्पादन बहुत अधिक मात्रा में होता है जिसमें से घर पर फल एवं सब्जी के उपयोग से अधिक उपज को विक्रय कर रोजाना के खर्चे केलिए पैसा भी कमाया जा सकता है। ऐसी पौष्टिक गृह वाटिका को ही द्विकाजीय पौष्टिक गृह वाटिका कहते हैं। इसमें से कुछ भाग गाँव के गरीब परिवारों को बाँटकर सामाजिक सरोकार की पूर्ति भी की जा सकती है। उपरोक्त विचार हैं कृषि विज्ञान केंद्र रीवा के खाद्य वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रजीत सिंह के जो कि कृषि महाविद्यालय रीवा के अधिष्ठाता डॉक्टर एस. के. पांडेय सर के मार्गदर्शन तथा कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अजय कुमार पांडेय के दिशा-निर्देशन में केंद्र द्वारा अंगीकृत ग्राम रीठी में आयोजित प्रशिक्षण में बोल रहे थे।
प्रशिक्षण को आगे बढ़ाते हुए कृषि विस्तार वैज्ञानिक डॉक्टर संजय कुमार सिंह ने प्रशिक्षणार्थी बहनों और भाइयों को समझाईश देते हुए कहा कि किसान बहनें, पौष्टिक गृह वाटिका में आने वाले कीट तथा रोग व्याधियों का नियंत्रण जैविक रूप से ही करें जिसमें चूल्हे की राख का उपयोग, नीम की खली तथा काढ़े का उपयोग, गोमूत्र, गोबर की खाद तथा केंचुआ खाद का उपयोग ही करें। गृह वाटिका में जहरीले रसायनों का उपयोग न करें क्योंकि वाटिका में उपजी फल एवं सब्जियाँ परिवार के खाने के काम आयेंगी।
प्रशिक्षण के बाद कृषि विस्तार वैज्ञानिक डॉ किंजल्क सी सिंह द्वारा तैयार अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किट के माध्यम से प्रदर्शन भी डाले गये। प्रशिक्षण में ग्राम रीठी के अग्रणी कृषक तथा मार्गदर्शक श्री रेंजर साहब तथा कृषक श्री मीतेश देव जी सहित 30 बहनों किशोरियों और बच्चों ने भी भाग लिया।