राजस्थान के ही एक और किसान वैज्ञानिक हैं रायसिंह दहिया, जो राष्ट्रपति भवन में 15 दिन तक मेहमान रहे हैं। उन्होंने गैसीफायर का निर्माण किया है।
पारंपरिक गैसीफायर की तुलना में दहिया द्वारा निर्मित गैसीफायर में 30 से 35 प्रतिशत तक लकड़ी की कम खपत होती है। इन्होंने इसमें टायर भी लगाए हैं, जिसके चलते इसे इधर-उधर किया जा सकता है।
इनकी पुत्री राज ने डॉक्टरेट कर लेने के बाद भी हाइप्रोफाइल जॉब में जाने की बजाय अपने पिता के काम को आगे बढ़ाने की सोची, जिसके चलते अब पिता के हुनर और युवा पीढ़ी की सोच से जो कामयाबी हासिल हो रही है वह अपने आप में मिसाल है।
जर्मनी, इटली, कीनिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, नेपाल आदि कई देशों ने इनके गैसीफायर खरीदे हैं। एनटीपीसी, टाटा पावर, इंडियन ऑयल और कई यूनिवर्सिटियों ने इनसे गैसीफायर लगवाए हैं। अब तक कोई 125 गैसीफायर बेच चुके हैं। कीमतें क्षमता अनुसार होती हैं। 2013-14 में पिता-पुत्री की इस जोड़ी ने 3.50 करोड़ का कारोबार कर स्वर्णिम ऊँचाइयों को छुआ है।
रायसिंह जी कीनिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों की यात्राएँ अपने नवाचारों के सिलसिले में कर चुके हैं।
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