संपादकीय
-
पेड़ लगाएँ, प्रकृति को बचाएँ
लगातार बढ़ती आबादी के दबाव और येन-केन-प्रकारेण जीडीपी को बढ़ाते जाने की अंधी महत्वाकांक्षा वाले वर्तमान दौर में हर किसी…
Read More » -
बजट से नहीं, समझ से करे खेती
यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि हर साल बजट में बहुत सारी योजनाओं की घोषणा तो होती है…
Read More » -
आज़ादी में चल रही अंधे विकास की “कड़वी हवा”
इतिहास गवाह है और इतिहास अपने-आप को दोहराता भी रहता है यह कहीं पढ़ा था मैंने। वर्तमान समय में ऐसा…
Read More » -
खोट खेती में नहीं, ‘पराश्रित’ खेती में है
कृषि में उत्पादन गिरता जा रहा है, भूजल स्तर पाताल को छूने लगा है। धरती का तापमान दिनों-दिन बढ़ता जा…
Read More » -
भगवान भरोसे नहीं, भगवान के तरीके से करें खेती
किसानों की लगातार बिगड़ती दशा को सुधारने और उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होने से रोक पाने का सरकार के…
Read More » -
‘बचे हुए’ को आग न लगाओ, वरना कुछ न बचेगा…
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ में किसानों से कहा कि वे कटाई के…
Read More » -
किसानों की आत्महत्या का जवाब क्यों नहीं?
आये दिन अख़बारों और न्यूज़ चैनल्स के माध्यम से आपको पता चल रहा होगा कि देश में आए दिन किसान…
Read More » -
हमें ‘समझदार’ विकास चाहिये
मार्च के महीने में हुई बेमौसम बारिश के कारण देश के 6 बड़े राज्यों के किसान एक बिन बुलाई मुसीबत…
Read More » -
कहाँ से आई यह महँगाई?
भारत एक कृषि प्रधान देश है इसमें कोई दो राय नहीं। हमारी लगभग 65 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में…
Read More » -
फिर वही अंग्रेजों वाला कानून!
पिछले वर्ष देश में आम चुनाव सम्पन्न हुए। 10 साल से चली आ रही मनमोहन सरकार की करारी हार हुई।…
Read More »