Krishi Parivartan
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संपादकीय
ज़मीन का नहीं, ज़िम्मेदारी का करें बँटवारा
ज़मीन का नहीं, जि़म्मेदारी का करें बँटवारा वैसे तो 20-20 के चलन को आए हुए एक दशक से भी ज़्यादा…
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संपादकीय
ज़्यादा उत्पादन चाहिए या ज़्यादा दाम?
ज़्यादा उत्पादन चाहिए या ज़्यादा दाम? लिखें तो क्या लिखें? हाल-ए-दिल लिखें या देश का हाल लिखें? या यह दुनिया…
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कहानी
कहानी:- हारे हुए पिता
कृषि परिवर्तन के पाठकों के लिए अब हर अंक में किसी सुप्रसिद्ध लेखक की किसानों या गाँवों पर आधारित…
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संपादकीय
‘मुआवज़ा’ समस्या का हल नहीं है
‘मुआवज़ा’ समस्या का हल नहीं है उत्तरप्रदेश में गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल में हुई 60 बच्चों की मौत और…
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संपादकीय
बेढंगा विकास मतलब सुव्यवस्थित विनाश, फिर भी ज़िन्दा है आस
ताज़ा खबर यह है कि गर्मी में जहाँ आधा देश पानी की समस्या से जूझ रहा था, वहीं अब देश…
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संपादकीय
भगवान भरोसे नहीं, भगवान के तरीके से करें खेती
किसानों की लगातार बिगड़ती दशा को सुधारने और उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होने से रोक पाने का सरकार के…
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