खरगोन। आइए मिलते हैं खरगोन जिले के गाँव पथोरा के किसान राकेश भाई पटेल से जो हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) चारे की शुरुआत कर चुके हैं।
यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी और पोषक तत्वों से उगाया जाता है। इसे ‘जलीय कृषि’ भी कहते हैं।
पौधे उगाने की यह तकनीक पर्यावरण के लिए काफी सही होती है। इन पौधों के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे पानी की बचत होती है। कीटनाशकों के भी काफी कम प्रयोग की आवश्यकता होती है। मिट्टी में पैदा होने वाले पौधों तथा इस तकनीक से उगाए जाने वाले पौधों की पैदावार में काफी अंतर होता है। इस तकनीक से एक किलो अनाज से पाँच से सात किलो चारा दस दिन में बनता है और इसमें ज़मीन भी नहीं लगती है।
कैसे करें शुरुआत
इस विधि से हरा चारा उगाने के लिए सबसे पहले अनाज को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोना होता है। उसके बाद एक ट्रे में उसे डालते हैं और जूट के बोरे से ढँक देते हैं। तीन दिनों तक इसे ढँककर रखने पर इसमें अंकुरण हो जाता है। फिर इसे पाँच ट्रे में बाँट देते हैं। हर दो-तीन घंटे में पानी डालना होता है। ट्रे में एक छेद होता है जिससे पौधों की ज़रूरत का पानी ही रुकता है, बाकी पानी निकल जाता है।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से पौधों को ज़्यादा ऑक्सीजन मिल जाती है और पौधे ज़्यादा तेज गति से पोषक तत्वों को सोखते हैं। परंपरागत हरे चारे में प्रोटीन 10.7 फीसदी होता है जबकि हाइड्रोपोनिक्स हरे चारे में प्रोटीन 13.6 प्रतिशत होता है।
इस तकनीक को अपनाकर वे किसान भाई काफी हद तक महँगे पशु खाद्यान्न (जैसे कपास्या खली, काकड़े एवं अन्य पशु आहार) के खर्च को कम कर सकते हैं जो पशुपालन एवं दुग्ध व्यवसाय से अपनी आजीविका चला रहे हैं।
सपंर्क कर सकते है:
किसान राकेश पटेल
ग्राम: पथोरा, जिला: खरगोन (म.प्र.)
मोबाईल: 62632 41212