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आबू सौंफ-440 को राष्ट्रीय पंजीकरण प्रमाण पत्र

-मोईनुद्दीन चिश्ती

सिरोही। पिंडवाड़ा तहसील के काछोली गांव के प्रगतिशील किसान ईशाक अली को उनकी विशिष्ट सौंफ किस्म आबू सौंफ-440’ के लिए भारत सरकार से राष्ट्रीय पंजीकरण, संरक्षण और कृषक अधिकार प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है।

यह किस्म पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) द्वारा पंजीकृत की गई है, जिससे यह सिरोही जिले से पंजीकृत होने वाली पहली किसान विकसित सौंफ किस्म बन गई है। पंजीकरण की घोषणा प्लांट वैरायटी जर्नल ऑफ इंडिया (Vol. 19, No. 7, जुलाई 2025) में की गई है। प्रमाण पत्र किसान ईशाक अली को नवंबर 2025 में प्रदान किया जाएगा।

आबू सौंफ-440 की विशेषताएं
‘आबू सौंफ-440’ सिरोही जिले के माउंट आबू की तराई में उगाई जाने वाली उच्च गुणवत्ता वाली सौंफ है, जो लगभग 9,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है। इस किस्म की पहचान इसके हरी, मोटे दानोंविशिष्ट सुगंधचमकीले रंग और स्वाद से होती है। प्रति पौधा 80 से अधिक छत्रकों के साथ यह किस्म उच्च उत्पादकतारोग प्रतिरोधकता और बेहतर अनुकूलनशीलता के लिए जानी जाती है।

संस्थानिक सहयोग और वैज्ञानिक परीक्षण

इस पंजीकरण में दक्षिण एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (SABC), जोधपुरकाजरी आरआरएस, पाली और बायोटेक किसान हब (DBT) की संयुक्त भूमिका रही। संस्थानों ने किस्म के Distinctness, Uniformity, Stability (DUS) परीक्षण, फील्ड मूल्यांकन, और एरोमेटिक कम्पाउंड प्रोफाइलिंग की, जिसमें पाया गया कि इस सौंफ में एनेथोल, फेंचोन और मिथाइल चैविकोल की मात्रा अन्य क्षेत्रों की सौंफ की तुलना में अधिक है।

किसान नवाचार की पहचान

‘आबू सौंफ-440’ का पंजीकरण PPV&FR अधिनियम, 2001 के तहत किसान नवाचारों को मान्यता देता है।

डॉ. भागीरथ चौधरी, निदेशक, SABC जोधपुर ने कहा,“यह भारत सरकार द्वारा किसान द्वारा विकसित पहली सौंफ किस्म का पंजीकरण है। अगले चरण में ‘आबू सौंफ’ के लिए भौगोलिक संकेतक (GI) प्राप्त करने की दिशा में काम किया जाएगा।”


डॉ. अनिल कुमार शुक्ला, प्रमुख, काजरी आरआरएस, पाली ने बताया,“यह उपलब्धि किसान नेतृत्व वाले नवाचारों और बायोटेक किसान हब पहल के प्रभाव को दर्शाती है, जो आकांक्षी जिलों सिरोही और जैसलमेर में किसानों को सशक्त बना रही है।”

किसान ईशाक अली बोले – यह पूरे सिरोही का गर्व है

ईशाक अली ने कहा,“आबू सौंफ-440 सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि पूरे सिरोही के किसानों की पहचान है। यह साबित करता है कि छोटे किसान भी नवाचार और परंपरागत ज्ञान के बल पर राष्ट्रीय पहचान बना सकते हैं।”


उन्होंने किसानों को अपने ‘आबू सौंफ कम्युनिटी जीन बैंक’ पर आमंत्रित किया है, ताकि वे वैज्ञानिक खेती और उन्नत तकनीक से उत्पादन बढ़ाने के तरीके सीख सकें।

कृषक अधिकारों की दिशा में ऐतिहासिक कदम
‘आबू सौंफ-440’ का यह पंजीकरण सिरोही जैसे आकांक्षी जिले के किसानों के लिए एक प्रेरणादायी उदाहरण है — जो दिखाता है कि स्थानीय जैव विविधता, परंपरागत ज्ञान और वैज्ञानिक सहयोग के माध्यम से किसान भी बौद्धिक संपदा अधिकार अर्जित कर सकते हैं, नए बाजार अवसर बना सकते हैं और अपने क्षेत्रीय गर्व को नई पहचान दे सकते हैं।

-मोईनुद्दीन चिश्ती
वरिष्ठ कृषि पत्रकार, जोधपुर

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