खेती-बाड़ी

कृषि कार्य की रूपरेखा संबंधित जानकारी (जनवरी से दिसम्बर)

लेखक:
डॉ. एस. आर. मालू, डॉ. मोनिका जैन, डॉ. शिप्रा पालीवाल एवं रमेश पारीक
पेसिफिक कृषि महाविद्यालय, पेसिफिक विश्वविद्यालय, उदयपुर-३१३००१
ई-मेल: [email protected]
संपर्क: 0294-2980463

जनवरी माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • इस माह में पाला पडऩे की पूरी संभावना है, अत: संवेदनशील फसलें जैसे सरसों, आलू, मटर, टमाटर, बैंगन इत्यादि को पाले से बचाने हेतु खेत की मेड़ों पर धुँआ करें या सिंचाई करें या गंधक के तेज़ाब (सान्द्र्रता 90 प्रतिशत) को एक मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। (किसान भाई फसल में हल्की सिंचाई कर संध्या समय पर धुआँ करें।)
  • चने में फली छेदक कीट की रोकथाम हेतु एसिफेट 500 ग्राम 75 एस.पी. के घोल का प्रति हैक्टर छिड़काव करें तथा फोरोमोन ट्रेप 7-8 प्रति हैक्टर लगाएँ।
  • गेहूँ व जौ में जस्ते की कमी होने पर 5 किलोग्राम जिंक फॉस्फेट तथा 2.5 किलोग्राम चूने को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
  • गेहूँ में फुटान या तने में गाँठ की अवस्था पर सिंचाई करें।
  • सरसों में फूल बनने के पश्चात कीट नियंत्रण हेतु मेलाथियॅान 5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रात: अथवा शाम को भुरकाव करें या डाइमिथोएट 30 ई.सी. 1000 मिलीलीटर की दर से छिड़काव करें।
  • सरसों की फसल में झुलसा एवं सफेद रोली रोग के लक्षण प्रकट होने पर ब्लाईटोक्स 50 या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
  • ‘फल मक्खी’ का बेर में नियंत्रण हेतु मेलाथियान 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
  • आम, अमरूद व अनार में ‘मिलीबग’ कीट का प्रकोप दिखाई देने पर डाइमिथोएट 30 ई.सी. का 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें।
  • पॉली हाउस में कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौध तैयार करें व मौसम पूर्व सब्जी उत्पादन लें।
  • लो टनल में सब्जी उगाकर पाले से बचाव कर मौसम पूर्व सब्जी उत्पादन लें।

(नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।)

 फरवरी माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • बसंतकालीन गन्ने की बुवाई हेतु सी.ओं 1148, सी.ओं. 419, सी.ओं.जे. 64, प्रताप गन्ना-1 की बुवाई करें तथा सिफारिश उर्वरकों के अलावा 40 कि.ग्रा. गंधक व 5 कि.ग्रा. जिंक प्रति हैक्टेअर प्रयोग करें।
  • गेहूँ व जौ की खड़ी फसल में दीमक नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. 4 ली. प्रति हैक्टेअर सिंचाई के साथ दें।
  • सरसों में छाछ्या रोग नियंत्रण हेतु 20 कि.ग्रा. घुलनशील गंधक या 750 मि.ली. डायनाकेप को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेअर छिड़कें।
  • जायद भिण्डी की बुवाई प्रारंभ करें।
  • अनार की उन्नत किस्मों -कन्धारी, भगवा, जालोर सीडलेस, मृदुला- की पौध लगावें।
  • कद्दू वर्गीय सब्जियों की बुवाई करें।
  • नींबू वर्गीय पौधों में डाइबेक रोग की रोकथाम हेतु मेन्कोजेब 3 ग्राम एवं कीटों की रोकथाम के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • जीरा, मटर, सौंफ, धनिया एवं गुलाब की फसल में छाछ्या का प्रकोप दिखने पर 25 किलो गंधक प्रति हैक्टेअर की दर से भुरकाव करें या केराथियान एल.सी. 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • लहसुन व प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट के नियंत्रण हेतु मिथाइल डिमेटोन 25 ई.सी. 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
    (नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।)

 मार्च माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • ग्रीष्मकालीन (जायद) सब्जि़यों, ग्वार, चँवला फली एवं मूँग की उन्नत किस्मों की बुवाई करें।
  • ग्रीष्मकालीन हरे चारे के लिए ज्वार-बाजरा तथा लोबिया की बुवाई करें एवं मीठी सुडान व संकर हाथी घास की रोपाई करें।
  • अमरूद के फलदार पौधों में सिंचाई बंद कर दें।
  • जई का साइलेज (भण्डारित एवं उपचारित हरा चारा) बनाएँ और इसी प्रकार बरसीम, रिजका व जई का ”है” भी अवश्य बनाएँ।
  • बरसीम के बीज तैयार करने के लिए कटाई 15-20 मार्च के बाद बंद कर दें और समय पर पानी देते रहें।
  • ग्रीष्मकालीन (जायद) सब्जियों में विषाणु रोग की संभावना होती है, जिससे पत्तियाँ एवं फल बेडौल हो जाते हैं। इसके लक्षण दिखाई देने पर पौधों को उखाड़ कर खेतों में खाली जगह में बिछा दें तथा कीटनाशी डाईमिथोएट 30 ई.सी. का 1 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
  • गेहूँ व जौ की फसल में चूहा नियंत्रण हेतु एलुमिनियम फॉस्फाइड की दो टिकिया प्रति बिल के हिसाब से बिलों में डालकर बंद कर देवें।
  • ग्रीष्मकालीन (जायद) की अगेती बोई गई सब्जियों में लाल भृंग कीट का प्रकोप दिखाई देने पर कार्बोरिल 5त्न चूर्ण का 20 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकाव करें।
  • टमाटर की फसल में फल एवं तना छेदक के नियंत्रण के लिए 50% फूल आने पर इन्डोक्सकार्ब 14.5 एस.सी. 1 मि.ली. या एसिफेट 75 एस.पी. 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। टमाटर में कीटों को रोकने के लिए बीच में गेंदा फूल भी लगा सकते हैं।
  • दवा छिड़कने व फल तोडऩे में 7 से 10 दिन का अन्तर रखें।

नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देसी कीटनाशक का प्रयोग करें।

अप्रैल  माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • गेहूँ की कटाई ठीक समय पर करें।
  • थ्रेशर में कार्य करते समय दुर्घटना से बचने के लिए कसे कपड़े पहनें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों में फल मक्खी से रोकथाम हेतु फूल आने से पहले डाईमिथोएट एवं फूल आने के बाद मेलाथियॅान 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। (जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देसी कीटनाशक का प्रयोग करें।)
  • नींबूवर्गीय फलदार पौधों में फल गिरने की रोकथाम हेतु प्लेनोफिक्स 1 मि.ली. प्रति 5 लीटर पानी का घोल बना कर छिड़काव करें।
  • तरबूज व खरबूजे के फलों को पकने पर ही तोड़ें। फल के पास तंतु का सूखना, बजाने पर डल आवाज़ आना तथा बेली के रंग में परिवर्तन होना आदि फलों के पकने के संकेत हैं।
  • टमाटर एवं मिर्च में हरा तेला, सफेद मक्खी एवं पर्ण जीवी कीटों के नियंत्रण हेतु एसिफेट 75 एस.पी. 1 ग्राम पर लीटर पानी या ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. 3 मि.ली. प्रति 10 लीटर का छिड़काव करें।
  • खाली खेतों में गर्मी की गहरी जुताई करें।
  • अनाज की सफाई व ग्रेडिंग हेतु ग्रेडिंग मशीन का प्रयोग करें। अनाज भण्डारण उन्नत कोठियों में करने से पूर्व अनाज तेज़ धूप में पूर्णरूप से सुखा लेवें।

नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देसी कीटनाशक का प्रयोग करें।

मई  माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • कपास की अच्छी उन्नत किस्मों की बुवाई करें।
  • ग्रीष्मकालीन जुताई करें, जिससे मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कीट व रोगाणु तेज़ धूप से नष्ट हो जाएँ।
  • पपीते की नर्सरी तैयार करें।
  • हजारा व गेलार्डिया फूलों की नर्सरी तैयार करें।
  • ग्रीष्मकालीन सब्जियों एवं छोटे फलदार पौधों की सिंचाई पर विशेष ध्यान देवें।
  • इस माह में बेर की फसल में कटाई-छँटाई कर देनी चाहिए। इसमें 20 कलिका रखकर गत वर्ष की द्वितीयक शाखाओं को काट दें।
  • ग्रीष्मकालीन कद्दूवर्गीय सब्जियों में फूल एवं फल गिरने की समस्या होने पर इनकी नियमित एवं हल्की सिंचाई करें तथा वृद्धि नियामक प्लेनोफिक्स का 0.25 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें।
  • फूलगोभी की अगेती किस्मों जैसे अर्ली पटना या अर्ली कुवारी की नर्सरी में बुवाई करें। इसके लिए 600-750 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त है।
  • मूली की पूसा चेतकी की बुवाई 12 से 15 किग्रा प्रति हैक्टेअर की दर से करें।
  • धान की नर्सरी लगाने के लिए खेत तैयार करें।
  • फलदार पौधों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा लू से बचाएँ।

नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देसी कीटनाशक का प्रयोग करें।

जून माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • मूंगफली की उन्नत किस्मों (प्रताप मूंगफली 5 व 2, आर.जी.-382, आर.एस-1, एम-13, आर.जी-425, गिरनार-2) की बुवाई करें।
  • मूंगफली को गलकट रोग से बचाने हेतु थाइरम 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक तरीकों का प्रयोग करें ।)
  • मक्का की उन्नत संकर किस्मों की बुवाई करें। अधिक प्रोटीन वाली क्यू.पी.एम. संकर किस्मों को प्राथमिकता दे।
  • असिंचित क्षेत्रों में मक्का के बीच में सोयाबीन या उड़द की 2/2 के अनुपात में अंतराशस्य करें।
  • खरीफ प्याज की बीज द्वारा पौध तैयार करें।
  • करेला, कद्दू, लौकी, तुरई, खीरा, टिंडा, पालक इत्यादि की बुवाई करने का उचित समय है।
  • छोटे फलदार पौधों को लू से बचाने हेतु टाटियाँ बाँधें।
  • आँवले में बोरेक्स 0.5 % व जिंक सल्फेट 0.5% का घोल बनाकर छिड़काव करें। (जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • फलदार बागीचों में अमरूद, अनार, संतरा, नींबू, मौसमी आदि लगाने हेतु गड्ढे खोद कर तैयार करें।
  • समस्याग्रस्त मृदाओं में ढेंचा हरी खाद के लिए लगाएँ।

जुलाई माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • बाजरे की राज.-171, आर.एच.बी.-154, आई.सी.एम.एच-356, एच.बी.-67(इंपू्रव्ड) किस्मों की 4 किलो बीज प्रति हैक्टर की दर से बुवाई करें। बुवाई से पूर्व बीजों को 3 ग्राम थायरम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
  • उड़द की उन्नत किस्मों (प्रताप उड़द-1, आर.बी.यू.-38 (बरखा) पन्त यू.-19, पन्त यू. -31) की बुवाई करें।
  • सोयाबीन की उपज बढ़ाने हेतु सोडियम एसिफ्लोरफेन 16.5 % तथा क्लोडीनाफॉप प्रोपारजिल 8 % ई.सी. (मिश्रित उत्पाद-आइरिस) 1000 मि.ली. प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई के 20-25 दिन बाद छिड़काव करने पर सँकरी और चौड़ी पत्तियों वाली खरपतवार पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • सिंचित मूंगफली में दीमक व सफेद लट का प्रकोप दिखाई देने पर इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल 300 मि.ली दवा को 1000 किलो बजरी या मिट्टी में मिला कर भुरकाव करें। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • मूंगफली की फसल एक माह की होने पर निराई-गुड़ाई करें एवं झुमका किस्म के पौधों पर मिट्टी चढ़ाएँ। मूंगफली की सुइयाँ बनने पर निराई-गुड़ाई बिल्कुल न करें।
  • बुवाई या रोपाई से पहले कतारों में फोरेट-10 जी कण, 25 किलोग्राम या क्यूनालफास 1.5 % 30 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से भूमि का उपचार करें। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • लौकी व कद्दू की बुवाई के लिए 3 मीटर चौड़ी तथा करेला, खीरा, टिंडा, ककड़ी व तुराई के लिए 2 मीटर की दूरी पर आधा मीटर चौड़ी क्यारियाँ बनाकर बुवाई करें।
  • मक्का में खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के तुरंत बाद 500 ग्राम एट्राजीन को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति छिड़काव करें। (जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।)
  • उड़द में इमाजिथापर 10% एस.एल. 55 ग्राम सक्रिय तत्व है, को बुवाई के 15-20 दिन बाद भूमि में नमी की स्थिति में छिड़काव कर खरपतवारों की रोकथाम करें। इससे कम मेहनत द्वारा अधिक उत्पादन होगा।

(जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।)

 अगस्त के प्रमुख कृषि कार्य

  • मक्का में तना छेदक कीट के नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान 3% के कण 5 – 7.5 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से पौधों के पाटों में डालें तथा फड़का एवं सैन्य कीट नियंत्रण हेतु मिथाइल पेराथियान 2% चूर्ण 25 कि.ग्रा. प्रति हैक्टेयर की दर से भुरकें। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • सोयाबीन में गर्डल बीटल नियंत्रण हेतु ट्रायएजोफॉस 800 मिलीलीटर को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़कें। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • कुष्माकुण्ड कुल की सब्जि़यों में फूल व फल गिरने की समस्या आती है। अत: इन फसलों में नियमित एवं हल्की सिंचाई करें तथा वृद्धि नियामक प्लेनोफिक्स का 0.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। (जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • बाजरा एवं ज्वार में फड़के का आक्रमण होने पर मिथाइल पैराथियॅान 2% चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से प्रात: या शाम को भुरकाव करें। (जैविक खेती करने वाले किसान जैविक या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें ।)
  • मूंगफली में निराई-गुड़ाई करें तथा झुमका किस्म के पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाएँ। किसान मित्र कीट ट्राईकोग्रामा, क्राईसोपर्ला आदि का प्रयोग कर समेकित कीट प्रबंधन करें।

सितंबर माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • मूंगफली में अंतिम सिंचाई करें। खड़ी फसल में दीमक की रोकथाम के लिए 4 लीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. प्रति हैक्टर सिंचाई के साथ देवें।
  • बारानी तारामीरा, तोरिया एवं सरसों की बुवाई करें। तारामीरा की उन्नत किस्मों यथा आर.टी.एस.ए. तथा आ.टी.एम. 2002 (नरेंद्र तारा), जबकि सरसों की बायो 902 (पूसा जय किसान), लक्ष्मी, वसुंधरा, स्वर्ण ज़्योति एवं पूसा बोल्ड आदि का प्रयोग करें।
  • मूंग, मोठ, चँवले की फसल में चित्ती रोग के लक्षण दिखाई देने पर स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 1 ग्राम एवं 20 ग्राम ब्लाईटोक्स का 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • खरीफ की विभिन्न बारानी फसलों में फड़का एवं हॅाक मोथ के नियंत्रण हेतु मिथाइल पैराथियॉन 2% चूर्ण का 25 किलो प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव करें।
  • बाजरे में अरगट रोग की रोकथाम के लिए 2.5 किलो जाईनेब या 2 किलो मेन्कोजेब प्रति हैक्टर की दर से 3 दिन के अन्तराल में 2 से 3 बार छिड़काव करें।
  • पत्ता गोभी व फूल गोभी की पौध तैयार करें।
  • आँवले की उन्नत किस्मों यथा चक्कैया, आनंद-2, एन.ए. 6 व एन.ए. 7 का प्रयोग करें। बैंगन की पौध तैयार करें।
  • पानी की बचत हेतु ड्रिप सिंचाई पद्धति उपयोग में लेवें।
  • कुँओं पर सोलर पंप लगवावें।

नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।

अक्टूबर माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • चने की उन्नत किस्मों यथा प्रताप राज चना, प्रताप चना-1, आर.एस.जी. 888, काक-2, आई.सी.सी.-10 की बुवाई करें। बुवाई पूर्व बीजों को राईजोबियम एवं कार्बेण्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो से उपचारित करें।
  • मटर (बटला) फसल की बुवाई सिफारिश अनुसार उर्वरक एवं 1 ग्राम अमोनियम मोलिब्डेट प्रति किग्रा बीज+राइजोबियम, पी.एस.बी व पी.जी.पी.आर. कल्चर से उपचारित करके करें।
  • सरसों के अंकुरण के 7-10 दिन में पेंटेड बग व आरा मक्खी का प्रकोप दिखाई देता है। इसकी रोकथाम हेतु क्युनालफॉस 1.5% या मिथाइल पैराथियान 2% चूर्ण 20-25 किलो प्रति हैक्टर की दर से भुरकाव करें।
  • मसूर की उन्नत किस्मों यथा डी.पी.एल.-62, आई.पी.एल.-81, जे.एल.-3, आई.पी.एल.-316 की बुवाई करें। बीजों को बुवाई से पहले राइजोबियम पीबीएस कल्चर से उपचारित करें।
  • लहसुन की उन्नत किस्मों यथा एग्रीफाउंड पार्वती, एग्रीफाउंड सफेद, यमुना सफेद-2, जी-4, जी-323 की बुवाई करें।
  • पपीते की फसल में पर्ण कुंचन एवं मोजेक रोग की रोकथाम हेतु रोगग्रस्त पौधों को उखाड़ फेकें तथा प्रसार को रोकने के लिए डाईमिथोएट 30 ई.सी. या मिथाइल डीमेटॅान 25 ई.सी. एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  • टमाटर की फसल में फल छेदक लट के नियंत्रण हेतु एसिफेट 75, एस.पी.2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।
  • निंबुवर्गीय पौधों में चुसक कीटों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलीटर प्रति 3 लीटर पानी की दर से घोल का छिड़काव करें।
  • गुलाब के पौधों की कटाई-छँटाई करें।
  • आँवला, सोयाबीन आदि का प्रसंस्करण करें।

नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।

नवंबर माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • गेहूँ एवं जौ की बुवाई हेतु गेहूँ की यथा किस्मों राज. 3765, जी.डब्ल्यू -190, एच.आई.-8713, राज. 4037, राज. 4120, राज. 3777, तथा जौ की आर.डी.-2052, आर.डी. 2552, आर.डी. 2503, आर.डी.- 2715 इत्यादि प्रयोग करें।
  • गेहूँ व जौ की फसल को दीमक के प्रकोप से बचाने हेतु बीज को प्रीप्रोनिल 5 एस.सी. 6 मिलीलीटर या क्लोथिएनिडीन 50 डब्ल्यू डिजी 1.5 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
  • धनिया जीरा, मैथी एवं इसबगोल की बुवाई के लिए भी उचित समय हैं।, आर.सी.आर. 20, आर.सी.आर. 41, आर.सी.आर. 435, आर.सी.आर. 436 धनिया कि उन्नत किस्में हैं। आर.एम. टी-1, आर.एम. टी-143, आर.एम. टी-305, पूसा अर्ली बंच मैथी की तथा आर.एस.-1, आर.जेड.-209, आर.जेड-223, जी.सी. 4 एवं आर जेड-19 जीरे की उन्नत किस्में हैं।
  • बुवाई से पूर्व जीरे के बीज को 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम या ट्राईकोडर्मा 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करें। बुवाई के तुरंत बाद फसल को हल्की सिंचाई देवें।
  • सीमित सिंचाई स्थिति में उन्नत किस्में- नीलम, प्रताप अलसी आदि) अलसी फसल की बुवाई 1-15 नवम्बर तक करने पर अधिक उपज ली जा सकती हैं।
  • मिर्च, टमाटर एवं बैंगन की फसल को झुलसा रोग से बचने हेतु मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिडकाव करें।
  • आम के थालों की सफाई करें व बगीचों में निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें।

नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।

दिसंबर माह के प्रमुख कृषि कार्य

  • गेहूँ की पिछेती किस्में राज. 3765, राज. 3777, एच. आई 8498, लोक-1, राज. 4238 की बुवाई इस माह के प्रथम पखवाड़े तक करें। गेहूँ की बीज दर 25% बढ़ा देवें।
  • गेहूँ में खरपतवार नियंत्रण हेतु बुवाई के 30-35 दिन बाद 500 ग्राम 2-4 डी. एस्टर या एस्टर या 750 ग्राम 2-4 डी. अमाइन सॉल्ट सक्रिय तत्व निंदानाशी रसायन प्रति हैक्टर की दर से 500-700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • सरसों में मोयला कीट नियंत्रण हेतु डाईमिथोएट 875 मिलीलीटर प्रति हैक्टेयर का छिड़काव करें।
  • मटर में पहली सिंचाई 4-5 सप्ताह बाद 12-15 दिन के अन्तराल से करें व निराई-गुड़ाई करें। इसमें फली छेदक लट का प्रकोप दिखने पर एसीफेट 75 एस.पी. 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • बैंगन की पौध को छोटी पत्ती रोग से बचाने के लिए इसकी जड़ों को टेट्रासाइक्लिन 100 मि. ग्रा. एक लीटर पानी के घोल में 15 मिनट डुबोकर पौध की रोपाई करें।
  • पत्ता गोभी एवं फूल गोभी में आरा मक्खी, पत्ती भक्षक लटें, दीमक एवं गोभी की तितली का प्रकोप दिखने पर मैलाथियॅान 50 एस.सी. एक मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
  • अंगूर के नए गड्ढों की भराई करें तथा प्रत्येक गड्ढे में 10 किलो कंपोस्ट, 100 ग्राम डी.ए.पी. और 75 ग्राम सल्फेट ऑफ पोटाश डालें तथा उस पर धरातल से 30-40 मी. पोलीथिन चढ़ा दें।
    (नोट: जैविक खेती करने वाले किसान भाई जैविक कीटनाशकों या देशी कीटनाशक का प्रयोग करें।)

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