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एक साल पहले अन्ना आंदोलन से बनी पार्टी ‘‘आम आदमी पार्टी’’ दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है, 29 दिसम्बर को अरविन्द केजरीवाल शपथ लेने जा रहे है, यह निश्चय ही लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक दिन होगा। जन लोकपाल आंदोलन से जन्मी ‘‘आम आदमी पार्टी’’ राजनीति की नई ईबारत लिखने जा रही है। जन लोकपाल आंदोलन से जन्मी ‘आम आदमी पार्टी’ ने एकदम से राजनीति के सारे नियम बदल दिए हैं। एक वर्ष पहले अपने नए विचारों, नए सिद्धांतों के दम पर राजनीति में प्रवेश करने वाली पार्टी अब नए तौर-तरीकों से दिल्ली की शासन-व्यवस्था संभाल रही है। ‘आम आदमी पार्टी’ की सफलता का महत्वपूर्ण पक्ष है उसके सिद्धांत, जनसेवा और ईमानदारी। इन सबमें भी सबसे महत्वपूर्ण है जनसेवा।
मैं यहाँ कोई राजनीति पर लेख नहीं लिख रहा हूँ। लेकिन अरविन्द केजरीवाल और ‘आम आदमी पार्टी’ का उदाहरण मैंने इसलिए चुना है कि आज आम आदमी का सबसे बड़ा प्रतीक देश का किसान आत्महत्या कर रहा है, कर्ज़ से परेशान है, शासन की योजनाओं का लाभ उस तक नहीं पहुँच पा रहा है, फसलों का मुआवज़ा भी उस तक पूरा नहीं पहुँच पाता है। किसानी वैसे तो लाभ का धंधा है, पर आज भी किसान परेशान है। क्यों? इस प्रश्न का उत्तर ढूँढना सरकारों के लिए बहुत ही मुश्किल साबित हो रहा है। या शायद ढूंढने के लिए ज़रूरी इच्छा-शक्ति का अभाव है उनमें। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों में कितने किसानों ने आत्महत्या कर ली, पर किसी भी सरकार ने इन आत्महत्याओं की वजह जानने के लिए किसी समिति तक का गठन नहीं किया।
दरअसल, आज किसान को भी नए विचारों, नई तकनीक, नए तरीके के प्रबंधन और नेक इरादों की ज़रूरत है, जैसा कि अरविंद केजरीवाल ने कर के दिखा दिया है। नए प्रबंधन, नई तकनीक और दृढ़ निश्चय के दम पर कृषि को भी और बेहतर बनाया जा सकता है। ज़रूरत बस इस बात की है कि किसानों को भी नई तकनीक से रूबरू कराया जाए और उन तकनीकों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जाए। शासन द्वारा किसान हित में कई लाभकारी योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिनकी जानकारी किसानों को मिलना ज़रूरी है ताकि वे उन योजनाओं का लाभ उठा सकें। तभी किसानों का जीवन स्तर सुधर सकता है। कृषि परिवर्तन के माध्यम से हम भी यही प्रयास कर रहे हैं कि खेतीबाड़ी के क्षेत्र में अपनाए जा रहे नए-नए तौर-तरीकों, शासन की तमाम किसानोन्मुख योजनाओं तथा कृषि उत्पादों के बेहतर से बेहतर प्रबंधन संबंधी जानकारियाँ प्रदेश के किसान भाइयों तक पहुँचा सकें, उन्हें बदलते वक्त के साथ अपडेट रख सकें, उन्हें आम आदमी के अधिकार दिलवा सकें। उम्मीद है कि इस नेक काज में सभी वर्गों का सहयोग हमें प्राप्त होगा।
-पवन नागर, संपादक